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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

इंतज़ार नमी का...










शाम ढल चुकी है 
दूर पहाड़ के टीले पर 
कुछ तारों का जमघट 
देख रहा चाँद की राह 
मेरे हिस्से के आसमां  में 
है नमी सी 
भरी भरी नमी और खाली खाली आसमां 
चाँद को है इंतज़ार 
बदली हटने का 
और मुझे 
इंतज़ार नम होने का !!
***
एक हिस्से में सूखापन है बहुत 
कुछ नमी की तरावट लाज़मी है शायद !!


सु-मन  
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