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शनिवार, 15 जून 2013

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ...

(पूज्य बाबू जी को समर्पित )















छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल
परलोक में अब रहता है तू

कैसे बताऊं तुझको ऐ बाबुल
मेरे मन में अब बसता है तू

बन गए हैं सब अपने पराये
न होकर कितना खलता है तू

देख माँ की अब सूनी कलाई
आँखों से निर्झर बहता है तू

पुकारे तुझको ‘मन’ साँझ सवेरे
मंदिर में दिया बन जलता है तू  

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू....
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू..... !!


सु..मन

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